यह सत्य पाने से नहीं, असत्य को पहचानने से होता है ।
सत्य तो आत्मानुभूति (केवलज्ञान) होने पर प्राप्त होता है ।
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यह कथन बिलकुल सत्य है – – – – – – – – – –
वैराग्य तो असत्य को पहिचान ने से होता है। अपनी आत्मा की विशुद्धी हेतू वैराग्य धारण करना होता है। सत्य पहिचान पर केवलज्ञान की प्राप्ति होती है। केवलज्ञान होने के बाद परमात्मा बन जाते हैं । सब धम॓ से जुडने का प्रयास करें ।
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यह कथन बिलकुल सत्य है – – – – – – – – – –
वैराग्य तो असत्य को पहिचान ने से होता है। अपनी आत्मा की विशुद्धी हेतू वैराग्य धारण करना होता है। सत्य पहिचान पर केवलज्ञान की प्राप्ति होती है। केवलज्ञान होने के बाद परमात्मा बन जाते हैं । सब धम॓ से जुडने का प्रयास करें ।