व्यवस्था

जितनी व्यवस्थाएँ होंगी, उतनी ही अव्यवस्थाएँ भी होंगी और आपकी अवस्था बदल नहीं पायेगी ।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

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3 Responses

  1. व्यवस्था को समझाने का कष्ट करें, जय जिनेन्द्र ।

    1. व्यवस्था माने…
      तीर्थ भी जाना हो तो, A.C.class में confirm reservation, बढ़िया ठहरने का कमरा आदि, तो हो जाये ।

  2. आजकल, अधिकांश लोग, व्यवस्था के लिए लगे रहते हैं, वही लोग अव्यवस्था के चक्कर में, फँस जाते हैं ।उनको सन्तुष्टी का, भाव रखना चाहिए; तभी कल्याण होगा ।

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