व्यवहार – पर की अपेक्षा,
जैसे बच्चे को माँ झूठ कह देती है कि लड़्ड़ू खत्म हो गये ।
निश्चय – पर का सहारा नहीं,
वस्तु-स्थिति को जैसा का तैसा कहना ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि निश्चय सत्य है, इसमें पर का सहारा नहीं लेना पड़ता है।वस्तु स्थिति को जैसा का तैसा कहना है। लेकिन व्यवहार में पर की अपेक्षा रहती हैं।जीवन में निश्चय अटल है लेकिन बिना व्यवहार के जीवन नहीं चल सकता हैं।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि निश्चय सत्य है, इसमें पर का सहारा नहीं लेना पड़ता है।वस्तु स्थिति को जैसा का तैसा कहना है। लेकिन व्यवहार में पर की अपेक्षा रहती हैं।जीवन में निश्चय अटल है लेकिन बिना व्यवहार के जीवन नहीं चल सकता हैं।