व्यवहार
क्या करें, रिश्तेदारी निभाने में धर्मध्यान में बहुत व्यवधान होता है !…..अंजू
मैं अकेले में आहार 1/2 घंटे में ले लेती हूँ। संघ के साथ (उनका ध्यान रखने में) 1½ घंटा लगता है। व्यवहार निभाना भी ज़रूरी है, वरना अंत समय भगवान का नाम सुनाने वाला नहीं मिलेगा।
आर्यिका श्री विज्ञानमति जी
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आर्यिका विज्ञानमति जी ने व्यवहार को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए व्यवहार पालना परम आवश्यक है।