शरीरों की उत्कृष्ट स्थिति –> 1. औदारिक – 3 पल्य (भोग भूमि) 2. वैक्रियक – 33 सागर (देव व नारकी) 3. आहारक – अंतर्मुहूर्त 4. तैजस – 66 सागर (एक बंध की अपेक्षा) 5. कार्मण – 70 कोड़ा कोड़ी सागर (मोहनीय की अपेक्षा)।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकाण्ड: गाथा– 252)
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने शरीरों की स्थिति बताई गई है वह पूर्ण सत्य है।
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने शरीरों की स्थिति बताई गई है वह पूर्ण सत्य है।