शरीर के वर्ण
1. बादर तैजसकायिक… पीत (शिखा, मूल में) ।
2. बादर जलकायिक …. शुक्ल (बिना रंग के जल दिखेगा कैसे ! धार/ समूह में साफ दिखता है) ।
3. बादर वायुकायिक ….. घनोदधि वात – गौमूत्र, घनवात … मूंग (मूंगा) ।
4. तनु वात …………….. अव्यक्त (रंग स्पष्ट नहीं, इसलिए उपमा नहीं दी) । सामान्य वायु का वर्णन नहीं दिया ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीव काण्ड : गाथा – 497)
5 Responses
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने शरीर के वर्ण को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।
1) ‘पीत’ colour kaunsa hota hai ?
2) ‘घनवात … मूंग (मूंगा)’ ka meaning kya hai ?
Clarify karenge, please ?
1) ‘पीत’ colour kaunsa hota hai ?
2) ‘घनोदधि वात’ aur ‘घनवात … मूंग (मूंगा)’ ka kya meaning hai ?
Clarify karenge, please ?
1) पीला।
2) घनोदधि लोकाकाश के पास की लेयर, बीच की घनवात जिसका रंग मूंगा जैसा।
Okay.