शरीर के वर्ण

1. बादर तैजस्कायिक… पीत (शिखा, मूल में)
2. बादर जलकायिक …. शुक्ल (बिना रंग के जल दिखेगा कैसे ! धार/ समूह में साफ दिखता है)
3. बादर वायुकायिक ….. घनोदधि वात – गौमूत्र, घनवात … मूंग (मूंगा)
4. तनु वात …………….. अव्यक्त (रंग स्पष्ट नहीं, इसलिये उपमा नहीं दी) । सामान्य वायु का वर्णन नहीं दिया।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीव काण्ड : गाथा – 497)

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One Response

  1. मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने शरीर के वर्ण को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।

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