शरीर

शरीर भोजन से ही नहीं वातावरण से भी ग्रहण करके स्वस्थ रहता है ।
बचपन में ग्रहण ज्यादा, खर्च कम ।
उम्र के साथ ग्रहण कम होता जाता है, खर्च ज्यादा ।
चिंता/तनाव से खर्चा तेज होता जाता है ।

मुनि श्री सुधासागर जी

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4 Responses

  1. उपरोक्त कथन सत्य है कि शरीर भोजन से नहीं बल्कि वातावरण से शुद्ध हवा,पानी को ही ग़हण करके स्वास्थ रहता है।यह कथन भी सत्य है कि बचपन में ग़हण ज्यादा होता है एवं खर्च कम होता है, जबकि उम़ बढ़ने पर ग़हण कम होता है एवं खर्चा ज्यादा होता है, इसके अलावा चिंता एवं तनाव के कारण खर्चा अधिक होता रहता है। अतः जीवन में आवश्यकता अनुसार ग़हण यानी कमाना चाहिए ताकि जीवन में तनाव एवं चिंता नहीं होगी। अतः खर्चा से अधिक ग़हण नहीं करना चाहिए ताकि जीवन सफल हो सकता है।

    1. शरीर नामकर्म वर्गणायें वातावरण से ग्रहण करता है जैसे अरहंत भगवान करते हैं।

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