शुभयोग धार्मिक क्रियाओं में मन, वचन, काय की प्रवृत्ति,
शुभोपयोग सम्यग्दर्शन सहित क्रियाओं में उपयोग ।
अभव्य जीव शुभयोग से अशुभोपयोग से ग्रैवियक तक चला जा सकता है, अशुभोपयोग ही रहेगा, क्योंकि श्रद्धा है ही नहीं ।
ज्ञानशाला
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शुभोपयोग- – दया, दान, पूजा, व़़त,शील आदि रुप और चित्त प़साद रुप परिणाम होना शुभोपयोग है।
अभव्य जीव- – जो जीव कभी भी संसार के दुखों से छूटकर मोक्ष सुख प्राप्त नहीं कर सकते हैं।
अतः उक्त कथन सत्य है कि शुभोपयोग धार्मिक क्रियाओं में मन वचन काय की प़वृति होती हैं लेकिन शुभोपयोग सम्यग्दर्शन सहित क़ियाओ में उपयोग होता हैं। अतः अभव्य जीव शुभोपयोग से ग़ैवियक तक चला जाता है लेकिन अशुभपयोग ही रहेगा, क्योंकि श्रद्वा नहीं होती हैं।
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शुभोपयोग- – दया, दान, पूजा, व़़त,शील आदि रुप और चित्त प़साद रुप परिणाम होना शुभोपयोग है।
अभव्य जीव- – जो जीव कभी भी संसार के दुखों से छूटकर मोक्ष सुख प्राप्त नहीं कर सकते हैं।
अतः उक्त कथन सत्य है कि शुभोपयोग धार्मिक क्रियाओं में मन वचन काय की प़वृति होती हैं लेकिन शुभोपयोग सम्यग्दर्शन सहित क़ियाओ में उपयोग होता हैं। अतः अभव्य जीव शुभोपयोग से ग़ैवियक तक चला जाता है लेकिन अशुभपयोग ही रहेगा, क्योंकि श्रद्वा नहीं होती हैं।