मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने षटस्थान हानि का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! उक्त हानि अशुभ लेश्याओं पर निर्भर होती है! अतः जीवन का कल्याण करने के लिए शुभ लेश्याओं का पालन करना परम आवश्यक है! Reply
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने षटस्थान हानि का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! उक्त हानि अशुभ लेश्याओं पर निर्भर होती है! अतः जीवन का कल्याण करने के लिए शुभ लेश्याओं का पालन करना परम आवश्यक है!
1) se 6) me jo bataaye, ye sab badhte hue kram me bataye hain, na ?
सही।
‘षटस्थान हानि’, kya sirf ‘कृष्ण आदि लेश्या’ में hi applicable hai ?
Item में ही “आदि” शब्द प्रयोग किया गया है। इसका मतलब कि हर लेश्या में applied है।
उत्पाद व्यय में भी प्रयोग होता है।
‘लेश्या’ ke alaawa kahin aur bhi apply hoga ?
Okay.