संतुलन

तुम्हारा जीवन एक उपहार है और तुम इस उपहार के आवरण को खोलने के लिए आए हो।
तुम्हारे वातावरण, परिस्थितयां और शरीर आवरण के कागज हैं।

प्रायः अनावरण करते समय हम कागजों को फाड़ देते हैं,
कभी-कभी हम इतनी जल्दी में होते हैं कि हम उपहार (आत्मा) को भी नष्ट कर देते हैं।

धैर्य और सहनशीलता के साथ उपहारों को खोलो और आवरण को बचाकर रखो।

(धर्मेंद्र)

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