जिओ और जीने दो / संलेखना

जिओ और जीने दो की सर्वोच्च साधना संलेखना में ही भायी जाती तथा की जाती है ।
(जीवों की रक्षा ना कर पाने पर देह त्याग करके )

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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2 Responses

  1. श्री महावीर भगवान ने जिओ और जीने का उपदेश दिया गया है।जिओ और जीने की सर्वोच्च साधना संलेखना में ही भायी जाती तथा की जाती है।
    सल्लेखना-जीवन का अंत निकट जानकर समता पूर्वक देह का परित्याग करने को कहते हैं।सल्लेखना का शाब्दिक अर्थ है कि शरीर और कषाय को क़मश क्षीण करना होता है एवं जीवन का कलश भी है और अगले जन्म का आधार है।
    अतः जीवन में समाधिमरण या सल्लेखना का भाव रखना चाहिए जिससे आत्म कल्याण हो सकता है।

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