संलेखना में प्राय: मायाचारी आ जाती है। “मैं इतना बड़ा साधक हूँ, पूरी कमजोरियाँ बतायीं तो गुरु क्या सोचेंगे!”
मुनि श्री सुधासागर जी
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि सल्लेखना में प़ायः मायाचारी आ जाती है! क्योंकि वह सोचता है कि बड़ा साधक हूँ, पूरी कमजोरियाँ बतायीं तो गुरु क्या सोचेंगे! अतः जीवन का कल्याण करना है तो सल्लेखना में किसी प़कार की मायाचारी नहीं आना चाहिए ताकि सल्लेखना सफलतापूर्वक हो सके!
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि सल्लेखना में प़ायः मायाचारी आ जाती है! क्योंकि वह सोचता है कि बड़ा साधक हूँ, पूरी कमजोरियाँ बतायीं तो गुरु क्या सोचेंगे! अतः जीवन का कल्याण करना है तो सल्लेखना में किसी प़कार की मायाचारी नहीं आना चाहिए ताकि सल्लेखना सफलतापूर्वक हो सके!