संसार कितना बचा, यह तय होता है कि आप संसार में कितना Involve हैं/ धंसे हुए हैं ।
चिंतन
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संसार संसरण या आवागमन को कहते हैं जिसका अर्थ परिभ्रमण या परिवर्तन होता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि संसार कितना बचा,यह तय होता है कि आप की संसार में कितनी भूमिका हैं यानी कितना धंसे हुए हो। अतः जीवन में संसार में न धंसते हुए बाहर निकलने का प्रयास करना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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संसार संसरण या आवागमन को कहते हैं जिसका अर्थ परिभ्रमण या परिवर्तन होता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि संसार कितना बचा,यह तय होता है कि आप की संसार में कितनी भूमिका हैं यानी कितना धंसे हुए हो। अतः जीवन में संसार में न धंसते हुए बाहर निकलने का प्रयास करना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।