संस्कृति/सभ्यता आंतरिक, स्थायी, भारतीय चेतना को परिष्कृत करती है/जीवन को सुधारती है ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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संस्कृति हमेशा स्थाई रहती है जो जीवन को सुधारती है। भारतीय संस्कृति हजारों वर्ष से चली आ रही है जो जीवन को हमेशा सुधारती है. वह अभी तक जीवित है ओर रहेगी। सभ्यता बदलती रहती है जिसका परिवर्तन होता रहता है। आजकल भारत में पश्चिमी सभ्यता आई है लेकिन भारतीय संस्कृति अभी जीवित हैं। अतः वतॅमान में भी भारतीय संस्कृति के हिसाब से चलना चाहिए तभी स्वयं का एवं देश का कल्याण होगा।
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संस्कृति हमेशा स्थाई रहती है जो जीवन को सुधारती है। भारतीय संस्कृति हजारों वर्ष से चली आ रही है जो जीवन को हमेशा सुधारती है. वह अभी तक जीवित है ओर रहेगी। सभ्यता बदलती रहती है जिसका परिवर्तन होता रहता है। आजकल भारत में पश्चिमी सभ्यता आई है लेकिन भारतीय संस्कृति अभी जीवित हैं। अतः वतॅमान में भी भारतीय संस्कृति के हिसाब से चलना चाहिए तभी स्वयं का एवं देश का कल्याण होगा।