हर वस्तु/स्थिति “स्यात नास्ति” जितनी है,
उतनी ही “स्यात अस्ति” भी होती है ।
महत्वपूर्ण है कि हमारी दृष्टि किस पर है ।
आचार्य श्री वसुनंदी जी
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4 Responses
यह कथन सही है कि हर वस्तु/स्थिति स्यात नास्ति जितनी है उतनी ही स्याति अस्ति भी होती है लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि हमारी द्वष्टि किस पर है, द्रष्टि सकारात्मक या नकारात्मक है।जीवन में सकारात्मक द्रष्टि रखने वाला ही अपना कल्याण करने में समर्थ हो सकता है।
“स्याति/स्यात” ka kya meaning hai? This is very true, that everything in world depends on our way of looking at things. An “optimistic” mindset, makes us look at people, events, issues and most importantly, at “OURSELF”, in a positive light.
“स्याति/स्यात” नहीं,
“स्यात-नास्ति” और “स्यात-अस्ति” है।
हर पदार्थ में “स्यात-नास्ति” यानि कथंचित exist नहीं करते (eg.कुछ गुण),
“स्यात-अस्ति” यानि कथंचित करते हैं।
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यह कथन सही है कि हर वस्तु/स्थिति स्यात नास्ति जितनी है उतनी ही स्याति अस्ति भी होती है लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि हमारी द्वष्टि किस पर है, द्रष्टि सकारात्मक या नकारात्मक है।जीवन में सकारात्मक द्रष्टि रखने वाला ही अपना कल्याण करने में समर्थ हो सकता है।
“स्याति/स्यात” ka kya meaning hai? This is very true, that everything in world depends on our way of looking at things. An “optimistic” mindset, makes us look at people, events, issues and most importantly, at “OURSELF”, in a positive light.
“स्याति/स्यात” नहीं,
“स्यात-नास्ति” और “स्यात-अस्ति” है।
हर पदार्थ में “स्यात-नास्ति” यानि कथंचित exist नहीं करते (eg.कुछ गुण),
“स्यात-अस्ति” यानि कथंचित करते हैं।
Okay.