मुनि श्री शांतिसागर जी, आचार्य श्री विद्यासागर जी से प्रायश्चित अकेले में नहीं लेते थे।
उनकी सोच थी कि गलती जितने लोगों के सामने की है, प्रायश्चित भी उनके सामने ही लेना चाहिये।
24 साल की उम्र में आपकी समाधि हो गयी थी।
मुनि श्री विनम्रसागर जी
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मुनि श्री विनम़सागर महाराज जी ने प़ायश्चित का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में कोई गलती हो जावे तो मुनियों से लेना परम आवश्यक है। छोटी गलतियों के लिए स्वयं आलोचना करना आवश्यक है।
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मुनि श्री विनम़सागर महाराज जी ने प़ायश्चित का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में कोई गलती हो जावे तो मुनियों से लेना परम आवश्यक है। छोटी गलतियों के लिए स्वयं आलोचना करना आवश्यक है।