सत्य-योग

सत्य-मन = सत्य-भावरूप मन।
सत्य-भाव होगा सत्य-पदार्थ को जानने से, उसके चिंतन से।
जब सत्य-मन होगा, उसी से सत्य-योग होगा।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकांड–गाथा – 218)

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4 Responses

  1. मुनि महाराज जी ने सत्य योग की परिभाषा का उदाहरण दिया गया है कि वो भी सत्य है! अतः सत्य मन होगा, उसी से सत्य योग होगा!

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