सत्य वचन
10 प्रकार –
1. जनपद
2. सम्मति
3. स्थापना
4. नाम
5. रूप – जो दिख रहा है
6. प्रतीत्य – लम्बा/बड़ा
7. व्यवहार – भात पक रहा है
8. सम्भावना – इंद्र जम्बूद्वीप को पलट सकता है
9. भाव – प्रासुक (जीव रहित)
10. उपमा – पल्योपम = गड़्ड़े की उपमा
सागरोपम = सागर की उपमा
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकाण्ड-गाथा- 222)
9 Responses
मुनि श्री ने सत्य वचन का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन का कल्याण करना है तो हमेशा सत्य बोलना आवश्यक है!
‘जनपद’, ‘सम्मति’, ‘स्थापना’ aur ‘नाम” satya kya hote hain aur ‘भाव’ satya ko thoda aur clarify karenge, please ?
जनपद = जो जनता को स्वीकार हो जैसे अयोध्या के प्रजाजन।
सम्मति = सम्मति से सत्य मानना।
स्थापना = स्थापित fact को सत्य मानना।
नाम = सिर्फ नाम का, गुणों से सम्बंध नहीं।
‘भाव’ satya kya hota hai, please ?
झूठ बोलने के भाव ही न आना।
Okay.
Lekin is post me jo ‘भाव’ satya ka example diya hai, i.e. ‘ भाव – प्रासुक (जीव रहित)’ usase ‘झूठ बोलने के भाव ही न आना’ ko kaise घटित kar sakte hain ?
भाव-सत्य में प्रासुक जमीन का example सही दिया है क्योंकि जिस जमीन को प्रासुक मान कर जीव रहित मान रहे हैं, उसे भावों से ही माना है निश्चय से तो वह पूरी तरह से जीव रहित हो ही नहीं सकता ।
It is now clear to me.