सम्मूर्च्छन मनुष्य
इनकी योनियों के प्रकार बहुत ज्यादा होते हैं क्योंकि इनकी संख्या भी अन्य मनुष्यों की अपेक्षा बहुत ज्यादा होती है ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी (पं. रतनलाल बैनाड़ा जी)
इनकी योनियों के प्रकार बहुत ज्यादा होते हैं क्योंकि इनकी संख्या भी अन्य मनुष्यों की अपेक्षा बहुत ज्यादा होती है ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी (पं. रतनलाल बैनाड़ा जी)