सम्यक्चारित्र का मतलब संसार के कारणभूत बाह्य और अंतरग क्रियाओं से निवृत्त होना है। अतः सम्यक्चारित्र तभी संभव होगा जब सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञान का implementation करेंगे।
Share this on...
4 Responses
सम्यक्चारित्र का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। सम्यक्चारित्र ही धर्म है। अतः जीवन में सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान होने के बाद सम्यक्चारित्र होना परम आवश्यक है।
4 Responses
सम्यक्चारित्र का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। सम्यक्चारित्र ही धर्म है। अतः जीवन में सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान होने के बाद सम्यक्चारित्र होना परम आवश्यक है।
‘संसार के कारण भूत बाह्य और अंतरग क्रियाओं से निवृत होना है। ‘ Iska meaning clarify karenge, please ?
अंतरंग क्रियायें कषाय रूप, बाह्य परिग्रह रूप से निवृत्त होना ही तो चारित्र है न !
Okay.