सिर्फ सहना नहीं,
प्रतिकूल परिस्थितियों के लिये सामने वाले को जिम्मेदार न मानकर, अपने कर्मों को जिम्मेदार मानना ।
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जो लोग प़तिकूल परिस्थितियोंं में दूसरों को जिम्मेदार न मानकर अपने कर्मों को जिम्मेदार मानता है, वही लोग सहनशील होते हैं। अतः सहनशीलता उसमें ही आती है जो कर्मों पर विश्वास रखता है अन्यथा जिन्दगी भर दुखी रहेगा।
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जो लोग प़तिकूल परिस्थितियोंं में दूसरों को जिम्मेदार न मानकर अपने कर्मों को जिम्मेदार मानता है, वही लोग सहनशील होते हैं। अतः सहनशीलता उसमें ही आती है जो कर्मों पर विश्वास रखता है अन्यथा जिन्दगी भर दुखी रहेगा।