साधु
साधु ब्राम्हण होता है – ज्ञान की अपेक्षा,
साधु वैश्य होता है – हमेशा फ़ायदे का काम करता है ,
साधु क्षत्रिय होता है – निडर,
साधु शूद्र होता है – दूसरों के विकारों को धोता है ।
क्षु. श्री धैर्यसागर जी
साधु ब्राम्हण होता है – ज्ञान की अपेक्षा,
साधु वैश्य होता है – हमेशा फ़ायदे का काम करता है ,
साधु क्षत्रिय होता है – निडर,
साधु शूद्र होता है – दूसरों के विकारों को धोता है ।
क्षु. श्री धैर्यसागर जी
2 Responses
उपरोक्त कथन बिलकुल सत्य है। साधुओं की कोई जाति नहीं होती है; वह ज्ञानी होते हैं जिससे सभी जातियों का कल्याण करते हैं। साधु ज्ञानी और निडर होते हैं, होशियारी से मनुष्यों के जीवन के विकारों को निकालने में समर्थ होते हैं।
Really true. Isliye “Sadhu” se “mahaan”, koi nahin hota.