पहले गुणस्थान में मिथ्यात्व की व्युच्छत्ति होने पर भी सासादन में मिथ्यात्व कैसे ?
योगेन्द्र
ज्ञान को अज्ञान बनाने में कषाय भी कारण है।
मिथ्यात्व के अनुदय में भी अनंतानुबंधी के कारण तीनों ज्ञानों को मिथ्याज्ञान कहा है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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सासादन मिथ्यात का मतलब उपशम सम्यकत्व से पवित्र होकर जीव जब तक मिथ्यात में नहीं रहता है तब तक उसे सासादान सम्यगद्वष्टि को जानना चाहिए। अतः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि ज्ञान को अज्ञान बनाने में कषाय भी कारण हैं। मिथात्व के अनुदय से भी अनंतानुबंधी के कारण तीनों को मिथ्याज्ञान कहा गया है।
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सासादन मिथ्यात का मतलब उपशम सम्यकत्व से पवित्र होकर जीव जब तक मिथ्यात में नहीं रहता है तब तक उसे सासादान सम्यगद्वष्टि को जानना चाहिए। अतः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि ज्ञान को अज्ञान बनाने में कषाय भी कारण हैं। मिथात्व के अनुदय से भी अनंतानुबंधी के कारण तीनों को मिथ्याज्ञान कहा गया है।