सिद्ध-क्षेत्र भगवानों के (निर्वाण) निमित्त से बनते हैं, परमार्थ के लिये ।
अतिशय-क्षेत्र भक्त बनाते हैं, संसार और परमार्थ दोनों के लिये ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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4 Responses
सिद्व क्षेत्र- -जिधर भगवानों के निर्वाण हुए हैं उस जगह को सिद्व क्षेत्र कहते हैं। अतिशय क्षेत्र- -जहां तीर्थंकरों के पंचकल्याणक हुए हैं अथवा जिस स्थान पर किसी मन्दिर या मूर्ति में कोई असाधारण विशेषताएं हैं उसे अतिशय क्षेत्र कहते हैं जैसे अंतरिक्ष पार्श्वनाथ,श्री महावीर जी,गोम्मटेश्वर बाहुबली आदि को अतिशय क्षेत्र कहते हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि सिद्व क्षेत्र भगवानों के निर्वाण जो निमित्त से बनते हो, जो परमार्थ के लिए होते हैं। अतिशय क्षेत्र भक्त बनाते हैं, संसार और परमार्थ दोनों के लिए होते हैं।
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सिद्व क्षेत्र- -जिधर भगवानों के निर्वाण हुए हैं उस जगह को सिद्व क्षेत्र कहते हैं। अतिशय क्षेत्र- -जहां तीर्थंकरों के पंचकल्याणक हुए हैं अथवा जिस स्थान पर किसी मन्दिर या मूर्ति में कोई असाधारण विशेषताएं हैं उसे अतिशय क्षेत्र कहते हैं जैसे अंतरिक्ष पार्श्वनाथ,श्री महावीर जी,गोम्मटेश्वर बाहुबली आदि को अतिशय क्षेत्र कहते हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि सिद्व क्षेत्र भगवानों के निर्वाण जो निमित्त से बनते हो, जो परमार्थ के लिए होते हैं। अतिशय क्षेत्र भक्त बनाते हैं, संसार और परमार्थ दोनों के लिए होते हैं।
Atishay kshetra, “Sansaar ke liye” kyun kaha?
अतिशय क्षेत्रों पर प्रायः संसारी इच्छाओं की पूर्ति के लिए जाते हैं और पूरी होती देखी भी जाती हैं ।
Okay.