जिस चीज़ की जितनी उपेक्षा, वह उतनी दूर रहेगी (कम सतायेगी) जैसे महमान/कर्म।
मुनि आस्रवों पर 108 ताले, 3 गुप्ति के दरवाजे तथा इंद्रिय निरोध रूपी खिड़कियों को बंद रखते हैं;
गृहस्थ सब खोल करके स्वागत करते हैं।
मुनि श्री सुधासागर जी
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4 Responses
सिद्धांत का मतलब नियम होना होता है। जैन धर्म में कर्म सिद्धांत का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि जिस चीज की जितनी उपेक्षा होगी वह कम सहयोगी होती है, जैसे मेहमान या कर्म। उपरोक्त कथन सत्य है कि मुनियों का सभी सिद्धांत पर भरोसा होता है ताकि वह अपना कल्याण करने में समर्थ होते हैं। अतः श्रावकों को अपने दरवाजे खुला रखना चाहिए, कम से कम कर्म सिद्धांत पर विश्वास रखना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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सिद्धांत का मतलब नियम होना होता है। जैन धर्म में कर्म सिद्धांत का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि जिस चीज की जितनी उपेक्षा होगी वह कम सहयोगी होती है, जैसे मेहमान या कर्म। उपरोक्त कथन सत्य है कि मुनियों का सभी सिद्धांत पर भरोसा होता है ताकि वह अपना कल्याण करने में समर्थ होते हैं। अतः श्रावकों को अपने दरवाजे खुला रखना चाहिए, कम से कम कर्म सिद्धांत पर विश्वास रखना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
“108 ताले” kaun se hain, jinki upar baat ho rahi hai ?
(समरम्भ, समारम्भ, आरम्भ)×(कृत, कारित, अनुमोदना)×(क्रोध, मान, माया, लोभ)×(मन, वचन, काय) = 108
Okay.