सिद्धांत ग्रंथ …. में कर्म-बंध आदि Accurate,
एक-एक गुणस्थान के details.
अध्यात्म-ग्रंथ ….में सिर्फ उच्च और विपरीत दशाओं का वर्णन, बीच के वर्णन नहीं;
शुद्ध निश्चय नय से लेकर अशुद्ध निश्चय नय तक ही ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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One Response
सिद्वांत का मतलब धर्म का नियम यानी कर्म सिद्धांत का ज्ञान होना आवश्यक है। आध्यात्मिक का मतलब भगवान्, गुरुओं एवं जिनवाणी पर श्रद्वान करना है।
अतः मुनि महाराज जी का कथन पूर्ण सत्य है निश्चय धर्म और व्यवहारिक धर्म का ज्ञान होना चाहिए ताकि मोक्ष मार्ग पर चलने में समर्थ हो सकते हैं।
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सिद्वांत का मतलब धर्म का नियम यानी कर्म सिद्धांत का ज्ञान होना आवश्यक है। आध्यात्मिक का मतलब भगवान्, गुरुओं एवं जिनवाणी पर श्रद्वान करना है।
अतः मुनि महाराज जी का कथन पूर्ण सत्य है निश्चय धर्म और व्यवहारिक धर्म का ज्ञान होना चाहिए ताकि मोक्ष मार्ग पर चलने में समर्थ हो सकते हैं।