सिलसिला

रस्सी बुनने वाला ज़िंदगी भर रस्सी बुनता रहता है पर रस्सी का कभी अंत/छोर नहीं आता, क्योंकि वह लगातार जूट के टुकड़े लगाता जाता है।
हमारे कर्मों का सिलसिला भी ऐसा ही है – Non Ending, क्योंकि हम भी कर्म जोड़ते चले जाते हैं।

चिंतन

Share this on...

2 Responses

  1. उपरोक्त कथन सत्य है कि रस्सी बुनने वाला जिंदगी भर बुनता रहता है लेकिन उसका अंत या छोर नहीं मिलता है।इसी प्रकार मनुष्य जिंदगी भर कर्म करता है,यह सिलसिला चलता रहता है,जिसका कोई अंत नहीं होता है। हम इसी प्रकार कर्मों को जोड़ते रहते हैं। अतः उचित होगा कि जो कर्म करते हैं वह ठीक होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।

  2. Bilkul sahi, par vidambana to yeh hai, ki yeh maalum hone par bhi, humare vyavhaar par koi effect nahi hota ?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

March 15, 2022

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031