जुए में युधिष्ठिर बदनाम हुए जबकि जुए का खिलाड़ी तो शकुनी था, ऐसा क्यों ?
शकुनी तो जीता था, उसको प्रसिद्ध करते तो लोग जुआ खेलने को प्रेरित होते। युधिष्ठिर अपना राज्य/ परिवार/ सब कुछ जुए में हारे थे, इसलिये उनका उदाहरण दिया जाता है।
मुनि सुधासागर जी
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उपरोक्त उदाहरण से सीख मिलती है कि जीवन में पापीयों के चक्कर में नहीं फंसना चाहिए, यदि ऐसा कुछ हो जाता है तो अपने धर्म का पालन करना अनिवार्य है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है। युधिष्ठिर धर्मात्मा थे, लेकिन शकुनी पापी था।
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उपरोक्त उदाहरण से सीख मिलती है कि जीवन में पापीयों के चक्कर में नहीं फंसना चाहिए, यदि ऐसा कुछ हो जाता है तो अपने धर्म का पालन करना अनिवार्य है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है। युधिष्ठिर धर्मात्मा थे, लेकिन शकुनी पापी था।