सीता का आखिरी भव 22 सागर का चल रहा है,
पर रावण अनेकों भव लेकर तीर्थंकर बनेंगे,
तब सीता का जीव उनका गणधर बनेगा और दोनों मोक्ष प्राप्त करेंगे ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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सीता जी और रावण के चारित्र में बहुत अन्तर रहा था। रावण बहुत बड़ा विद्वान, धार्मिक था लेकिन उनके चरित्र में संयम में कमी रहीं थीं।सीता जी का चारित्रिक जीवन रहा था। अतः मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि दोनों को मोक्ष मिलेगा ।
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सीता जी और रावण के चारित्र में बहुत अन्तर रहा था। रावण बहुत बड़ा विद्वान, धार्मिक था लेकिन उनके चरित्र में संयम में कमी रहीं थीं।सीता जी का चारित्रिक जीवन रहा था। अतः मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि दोनों को मोक्ष मिलेगा ।