सुख / दु:ख
दु:ख पुरुषार्थ करके आता है।
सुख बिना पुरुषार्थ किये क्योंकि सुखी रहना तो आत्मा का स्वभाव होता है।
मुनि श्री मंगलानंद सागर जी
दु:ख पुरुषार्थ करके आता है।
सुख बिना पुरुषार्थ किये क्योंकि सुखी रहना तो आत्मा का स्वभाव होता है।
मुनि श्री मंगलानंद सागर जी
One Response
मुनि श्री मंगलसागर महाराज जी ने सुख एवं दुख को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए सुख एवं दुख मे समता का भाव रहना परम आवश्यक है।