मुनियों का सुख जैसे कुंए में ढूकना (झांकना),
जैसे बच्चे का उस ओर दृष्टि करना।
केवलज्ञानी का लगातार शीतल जल ग्रहण करना/ अनंत-सुख का अनुभव करना।
आचार्य श्री वसुनंदी जी
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सुख का तात्पर्य जीवन में हर परिस्थितियों में समता भाव रखना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है। अतः मुनियों को वैराग्य के रास्ते पर चलने पर उनको आत्मसुख मिलता है। अतः मनुष्य को भी मुनियों को देखकर अपने में भी सुख मिल सकता है। अतः हर परिस्थितियों में समता भाव रखने पर सुख मिल सकता है।
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सुख का तात्पर्य जीवन में हर परिस्थितियों में समता भाव रखना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है। अतः मुनियों को वैराग्य के रास्ते पर चलने पर उनको आत्मसुख मिलता है। अतः मनुष्य को भी मुनियों को देखकर अपने में भी सुख मिल सकता है। अतः हर परिस्थितियों में समता भाव रखने पर सुख मिल सकता है।