गुरुजन भगवान की महिमा बता बता कर थक गये पर सुधार नहीं हुआ,
जब भक्तों की महिमा बताना शुरू किया तब बदलाव हुआ ।
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6 Responses
भक्तों का सुधार तभी हो सकता है जब अपने हृदय में गुरुओं का आत्म सात कर लें।भगवान की वाणी को गुरु सभी को समझाते हैं, लेकिन आत्मसात न करने के कारण जीवन में सुधार नहीं कर सकते हैं।अतः जीवन में सुधार के लिए गुरुओं के सानिथ्य में रहना चाहिए।
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भक्तों का सुधार तभी हो सकता है जब अपने हृदय में गुरुओं का आत्म सात कर लें।भगवान की वाणी को गुरु सभी को समझाते हैं, लेकिन आत्मसात न करने के कारण जीवन में सुधार नहीं कर सकते हैं।अतः जीवन में सुधार के लिए गुरुओं के सानिथ्य में रहना चाहिए।
Can its meaning be explained please?
भगवान तो दिखते नहीं हैं, भक्त प्रत्यक्ष दिखते हैं
2) उनकी भक्ति का आनंद दिखता है
3) भक्ति के फल भी दिखते हैं
Guru bhi “bhakton” ki category mein aayenge na?
वे तो बहतर भक्त होते हैं ।
Okay.