यह कथन बिलकुल सही है.. गुरुओं की बात सुनना एवं अच्छे संगति की बात सुनना ही नहीं बल्कि उसे पालने का प्रयास करें। फिजूल की सुनना नहीं चाहिए, यदि सुन लेते हो उसको दूसरे कान से निकालने का प्रयास करें तभी आपका कल्याण होगा। Reply
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यह कथन बिलकुल सही है..
गुरुओं की बात सुनना एवं अच्छे संगति की बात सुनना ही नहीं बल्कि उसे पालने का प्रयास करें। फिजूल की सुनना नहीं चाहिए, यदि सुन लेते हो उसको दूसरे कान से निकालने का प्रयास करें तभी आपका कल्याण होगा।