नवजात शिशु को माँ णमोकार आदि उच्चारण कर सकती है,
मार्ग नहीं है पर विशेष परिस्थिति है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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सूतक-लोक व्यवहार में जन्म मरण के निमित्त से हुई अशुद्वी के शोधन को कहते है।सूतक काल में देव पूजा, आहार दान आदि कार्य नहीं किया जाता है।
नवजात शिशु की माॅ णमोकार आदि उच्चारण कर सकती हैं लेकिन जिनवाणी या धार्मिक ग्रंथ को छूने का निषेध है, यह मार्ग नहीं विशेष परिस्थिति होती हैं।
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सूतक-लोक व्यवहार में जन्म मरण के निमित्त से हुई अशुद्वी के शोधन को कहते है।सूतक काल में देव पूजा, आहार दान आदि कार्य नहीं किया जाता है।
नवजात शिशु की माॅ णमोकार आदि उच्चारण कर सकती हैं लेकिन जिनवाणी या धार्मिक ग्रंथ को छूने का निषेध है, यह मार्ग नहीं विशेष परिस्थिति होती हैं।