सूतक
जन्म/ मरण में अच्छा/ बुरा लगने से सूतक लगता है।
अच्छा/ बुरा लगने से सुख/ दु:ख होता है। सुखी/ दु:खी होने से शरीर में रिसाव होता है जैसे स्वादिष्ट पदार्थ की याद आते ही मुंह में पानी/ रिसाव आने लगता है। रिसाव से शरीर में अपवित्रता होती है, इसलिये भी सूतक लगता है।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने सूतक को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में सूतक को नियमानुसार मानना परम आवश्यक है।
‘रिसाव’ ka kya meaning hai, please ?
रस निकलना।
Okay.