सेवा
सेवा…..
1. मन मिलाने का/ वात्सल्य पाने का उपाय है
2. कर्तव्यनिष्ठा है
3. दूसरों की सेवा, अपनी वेदना मिटाती है
4. नम्रता व प्रिय वचनों से दूसरों के रोग तक दूर हो जाते हैं।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
सेवा…..
1. मन मिलाने का/ वात्सल्य पाने का उपाय है
2. कर्तव्यनिष्ठा है
3. दूसरों की सेवा, अपनी वेदना मिटाती है
4. नम्रता व प्रिय वचनों से दूसरों के रोग तक दूर हो जाते हैं।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
2 Responses
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने सेवा का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! सेवा यानी मदद करना जैन धर्म का उद्देश्य है, अतः मन, वचन, काय के द्वारा अपनी हैसियत के द्वारा सेवा अवश्य करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!
जीतना है दिल किसी का
आप सेवा कीजिए।
गर, मिले सेवा का अवसर,
छोड़ सब कुछ दीजिए।।
दीन की सेवा करोगे,
शांति निज को भी मिलेगी।
वेदना भी शांत होगी
दुआ ईश की मिलेगी ।।