स्नातक
“स्नात” यानि नहाना।
स्नातक “स्नात” शब्द से बना है।
इसीलिये भगवान (अरहंत) को स्नातक कहते हैं, जिन्होंने कर्मों (आत्मा का घात करने वाले) को धो दिया हो।
निर्यापक मुनि श्री वीरसागर जी
“स्नात” यानि नहाना।
स्नातक “स्नात” शब्द से बना है।
इसीलिये भगवान (अरहंत) को स्नातक कहते हैं, जिन्होंने कर्मों (आत्मा का घात करने वाले) को धो दिया हो।
निर्यापक मुनि श्री वीरसागर जी
One Response
मुनि श्री वीरसागर महाराज जी ने स्नातक की परिभाषा का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन में स्नातक को भगवान यानी अरंहत को बोलना चाहिए, जिन्होंने सभी कर्मों को नष्ट किया गया है!