स्वतन्त्रता
शराब पीकर,जुआ खेल कर मरने की स्वतन्त्रता है,
भ्रष्टाचार खुलेआम स्वतन्त्र विचरण कर रहा है,
व्यभिचार को भी मौन स्वीकृति प्राप्त है।
पर अनादिकाल से चली आ रही धार्मिक क्रिया “समाधि-मरण” को स्वतन्त्रता
क्यों नहीं ?
शराब पीकर,जुआ खेल कर मरने की स्वतन्त्रता है,
भ्रष्टाचार खुलेआम स्वतन्त्र विचरण कर रहा है,
व्यभिचार को भी मौन स्वीकृति प्राप्त है।
पर अनादिकाल से चली आ रही धार्मिक क्रिया “समाधि-मरण” को स्वतन्त्रता
क्यों नहीं ?
3 Responses
Suresh Chandra Jain
Decision of court is not fair ,this is our faith in jain dharma.
“Saam, Daam, Dand, Bhed, Neeti”, these are parts of Raajneeti.
In fact, by legalising live-in-relationships, “vyabhichaar” has in a way been institutionalised and that’s much more than “maun sweekriti”.