जीव का स्वभाव तो दया है तो हिंसक पशुओं में कैसे घटित करेंगे ?
पर्यायगत विभाव को स्वभाव कहने लगे हैं।
(मनुष्य पर्याय से अहिंसक है, उसने विभाव बना लिया है)
मुनि श्री मंगलानंद सागर जी
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4 Responses
मुनि श्री मंगलसागर महाराज जी ने स्वभाव एवं विभाव को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए अपने स्वभाव पर नियंत्रण रखना परम आवश्यक है।
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मुनि श्री मंगलसागर महाराज जी ने स्वभाव एवं विभाव को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए अपने स्वभाव पर नियंत्रण रखना परम आवश्यक है।
Post ka meaning thoda aur clarify karenge, please ?
हिंसक जीवों में दूसरे जीवों को मारना उनका स्वभाव लगता है पर है यह विभाव।
Okay.