स्वभाव
ज़िन्दगी में खुद को कभी किसी इंसान का आदी मत बनाना…
क्यूंकि, इंसान बहुत खुदगर्ज़ है…
जब आपको पसंद करता है , आपकी बुराई भूल जाता है ;
और जब आपसे नफ़रत करता है , तो आपकी अच्छाई भूल जाता है…
(ड़ा. अमित)
ज़िन्दगी में खुद को कभी किसी इंसान का आदी मत बनाना…
क्यूंकि, इंसान बहुत खुदगर्ज़ है…
जब आपको पसंद करता है , आपकी बुराई भूल जाता है ;
और जब आपसे नफ़रत करता है , तो आपकी अच्छाई भूल जाता है…
(ड़ा. अमित)
M | T | W | T | F | S | S |
---|---|---|---|---|---|---|
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 |
8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 |
15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 |
22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 |
29 | 30 | 31 |
4 Responses
What about making “aadi” of myself, I m also an “insaan”!
इसीलिये शरीर को भी “पर”/”बदमाश” कहा है,
इसकी भी आदत नहीं डालनी है ।
Good.
Suresh Chandra Jain
It is very true ,We should not become habitual of any activity /aadmi.