स्वाहा = अपनी वस्तु का त्याग,
( फिर ग्रहण नहीं कर सकते )
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भगवान् के चरणों मे जो अपिॅत करते हैं उसको स्वाहा कहते हैं/ उसको निमाॅल कहते हैं वह मनुष्य के खाने योग्य नहीं होता है। जो भी दृव्य चढाते हैं वह पशु पक्षी को खिलाया जाता है। अतः भविष्य में किसी को भी नहीं खाना चाहिए।
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भगवान् के चरणों मे जो अपिॅत करते हैं उसको स्वाहा कहते हैं/ उसको निमाॅल कहते हैं वह मनुष्य के खाने योग्य नहीं होता है। जो भी दृव्य चढाते हैं वह पशु पक्षी को खिलाया जाता है। अतः भविष्य में किसी को भी नहीं खाना चाहिए।