स्व-चतुष्टय

स्वयं का द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव ही स्व-चतुष्टय है।

निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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One Response

  1. मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने स्व -चतुष्टय को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।

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