हिंसा
पेड़ आदि को काटने में हिंसा कम, बकरे/मुर्गे में ज्यादा,
क्योंकि हिंसा आत्मा की नहीं, प्राणों (इंद्रियाँ,मन,वचन,काय आदि) की होती है ।
पेड़ में 4 प्राण (स्पर्शन-इंद्रिय,श्वांस,आयु,काय),
बकरे/ मुर्गे में 10 प्राण…
(वाणी,मन,पाँच-इन्द्रियां,श्वांस,आयु,काय) होते हैं ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
(तड़पते/खूनादि को देख कर दया समाप्त होने लगती है/क्रूरता बढ़ती है/स्वयं की आत्मा का हनन भी होता है)
One Response
उपरोक्त कथन सत्य है कि पेड़ आदि काटने में हिंसा कम जबकि बकरे और मुर्गा में ज्यादा होती है, क्योंकि हिंसा आत्मा की नहीं बल्कि प़ाणो की यानी इन्द़ियां,मन वचन काय आदि की होती हैं। अतः पेड़ में चार प़ाण यानी स्पर्शन इंद्रिय,श्वास,आयु और काय जबकि बकरे और मुर्गे में दस प़ाण होते हैं यानी वाणी,मन, पांच इंद्रियों,श्वास,आयु और काय की होती है।