13वें गुणस्थान में लेश्या, योग की चंचलता/पूर्व कषाय के कारण होती है ।
इसलिये उपचार से लेश्या कहा है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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लेश्या—जो आत्मा को शुभाशुभ कर्मों में लिप्त करे, इनमें तीन कृष्ण नील और कपोल अशुभ होती है जबकि तीन पीत,पद्म और शुक्ल शुभ होती हैं।
गुणस्थान—मोह और योग के माध्यम से जीव के परिणामों से होने वाले उतार चढ़ाव को कहते हैं।
अतः 13 वे गुणस्थान में लेश्या,योग की चंचलता और पूर्व कषाय के कारण होती है इसलिए उपचार से लेश्या कहा है।
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लेश्या—जो आत्मा को शुभाशुभ कर्मों में लिप्त करे, इनमें तीन कृष्ण नील और कपोल अशुभ होती है जबकि तीन पीत,पद्म और शुक्ल शुभ होती हैं।
गुणस्थान—मोह और योग के माध्यम से जीव के परिणामों से होने वाले उतार चढ़ाव को कहते हैं।
अतः 13 वे गुणस्थान में लेश्या,योग की चंचलता और पूर्व कषाय के कारण होती है इसलिए उपचार से लेश्या कहा है।