Day: September 24, 2010

औदारिक-मिश्र

धवला तथा गोमटसार के अनुसार औदारिक और कार्मण वर्गणायें, अपर्याप्तक अवस्था में ग्रहण करने से इसे औदारिक-मिश्र कहते हैं । पर सर्वार्थसिद्धी के अनुसार औदारिक-मिश्र

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क्षमावाणी

‘भूल’ से अगर ‘भूल’ हो गयी, तो ‘भूल’ समझकर ‘भूल’ जाना, मगर ‘भूल – ना’ सिर्फ ‘भूल’ को, ‘भूल’ से हमें मत ‘भूल’ जाना ।

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मंगल आशीष

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September 24, 2010

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