Month: September 2010

मदद

किसी कि मदद करते वक़्त उसके चेहरे की तरफ मत देखो… क्योंकि उसकी झुकी हुई आंखें तुम्हारे दिल में गुरुर पैदा ना कर दें ।

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दान

श्री आतिफ़ ( आशीषमणी) के मित्र  Canada में कार्यरत हैं, मुझसे मिलने बस से आ रहे थे जबकि घर में गाड़ीयां थीं । पूछने पर बताया

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भोग-भूमि

भोग-भूमि के मिथ्यादृष्टि जीव भवनत्रिक देव बनते हैं । पुरूष जम्हाई तथा स्त्री छींक से मरण को प्राप्त होतीं हैं । यहां न अधिक पुण्य

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आयुकर्म की अबाधा

जितनी भुज्यमान आयु शेष रहने पर, पर-भव की आयु बंधे । ( भोगभूमि में 9 माह तथा देव और नारकियों के 6 माह पहले, आयु-बंध

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कर्तव्य

एक दिन सागर ने नदी से पूछा – कब तक मिलती रहोगी, मुझ खारे पानी से ? नदी ने हंसकर कहा – जब तक तुझ

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भाव

एक जीव के – कम से कम : पारिणामिक, क्षायोपशमिक तथा औदायिक – तीन भाव होते हैं, अधिक से अधिक : पांचों के पांचों भाव

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गुरू वचन

गुरू वचन स्वाति-नक्षत्र की बूदें हैं, यदि हृदयांगम कर लीं, तो मोती बन जायेंगी ।

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निगोद

अनित्य/इतर/चतुर्गति निगोद-    अन्य पर्यायों में जन्म लेकर पुन: निगोद में जाते हैं (जैसे हम लोग) । अनित्य/अनादि-सान्त निगोद-   अभी वे जीव निगोद में हैं, पर अन्य

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CONSISTENCY

A river cuts the rock, not because of it’s power but because it’s Consistency. Hence we should be consistent and keep walking towards the target.

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मंगल आशीष

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September 5, 2010

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