Month: October 2010
लोभ/आसक्ति
अप्रत्याख्यान से लोभ होता है, अनंतानुबंधी से आसक्ति होती है ।
अहंकार
हीनता का भाव भी अहंकार पैदा करता है । दूसरे के सम्मान में अपना अपमान मानना भी अहंकार है । मुनि श्री क्षमासागर जी
पत्नी
शास्त्रों के अनुसार पत्नी अनुगामिनी होती है, पर आजकल तो देखा जाता है कि पति पत्नी को Follow करते हैं, ऐसा क्यों ? क्योंकि आजकल
क्षयोपशम
घातिया कर्मों का ही होता है । अघातिया तो उदय में आकर फल देकर झर जाते हैं । इसीलिये केवली के क्षयोपशम नहीं होगा
ईर्ष्या
भक्त की प्रार्थना से खुश होकर देव प्रकट हुये, वरदान मांगने को कहा पर शर्त यह थी – जो भी तुम्हें दुंगा, उसका दुगना पड़ौसी
क्रोध
क्रोध से बचने के उपाय – विलम्ब करें । कारणों और औचित्य पर विचार करें । सकारात्मक सोचें । वातावरण को हल्का बनाऐं । मुनि
Think Positive
One thing I like about the stones (Problems) which come in my way; Once I pass them they automatically become milestones for me.
कर्मभूमि/भोगभूमि
कर्मभूमि- कर्मप्रधान, जैसा कर्म वैसा फल । भोगभूमि- भोगप्रधान, जैसा भाग्य वैसा फल ।
व्यवस्था
व्यवस्था अपने जीवन को व्यवस्थित करने के लिये होती है, हर समय व्यवस्था के पीछे नहीं पड़े रहें कि आपका जीवन ही अव्यस्थित हो जाये
Positivity
“Nothing is Impossible” The word itself says – ‘I M Possible’ Never take life too seriously, no body gets out alive anyway………..
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