Day: October 9, 2010
भोग/धर्म
October 9, 2010
यदि भोगना ही है तो धर्म करते हुये भोगो । जैसे वृक्ष के फल तोड़कर खाना – धर्म, वृक्ष काटकर फल खाना – अधर्म ।
यदि भोगना ही है तो धर्म करते हुये भोगो । जैसे वृक्ष के फल तोड़कर खाना – धर्म, वृक्ष काटकर फल खाना – अधर्म ।
Recent Comments