Day: October 15, 2010

विक्रिया

ये चारौं गतियों में होती है । तिर्यंचों में पृथक विक्रिया नहीं होती । बादर तैजसकायिक और वायुकायिक तथा पर्याप्तक पंचेंद्रिय तिर्यंच एवं मनुष्य, तथा भोगभूमि

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Roses

Do good to everyone without expecting much…… As an old proverb says : Some fragrance always cling to the hands of those who distribute roses.

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मंगल आशीष

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October 15, 2010