Month: December 2010
परनिंदा
परनिंदा आदि से नीच गोत्र कर्म में विशेष अनुभाग पड़ता है । बाकी 6 कर्मों में प्रदेश बंध होता है ।
शुभ/अशुभ
यदि पूर्व (शुभ) की ओर जाओगे, तो पश्चिम (अशुभ) स्वत: ही दूर होता जायेगा । आचार्य श्री विद्यानंद जी
सम्यक्चारित्र
सम्यग्दर्शन तो जीव जन्म के साथ लेकर आ सकता है पर सम्यक्चारित्र तो समझदार होने पर पुरूषार्थ के द्वारा ही आता है । आचार्य श्री विद्यासागर
पाप और पुण्य
जैसे गरिष्ठ खाना देर में पचकर, रस बनता है, वैसे ही बड़े बड़े पाप और पुण्य देर में फल देते हैं । पं रतनलाल जी
जागरूकता
एक आदमी सपने में अपने घर को जलता देख रोने लगा, इस आग को बुझाने के लिये कितनी बाल्टी पानी चाहिये ? पानी नहीं, उस
पारदर्शिता
सूखे कपड़े पर जहां जहां पानी पड़ जाये, वहां वहां उसकी पारदर्शिता बढ़ जाती है । ऐसे ही जब मन भीग जाता है, उसकी भी
माया शल्य एवं माया कषाय
शल्य – पीड़ा देने वाली वस्तु को कहते हैं । काँटें जैसी चुभती रहती है, कषाय – हर समय नहीं रहती । व्रती के माया
जीवन-पथ
हमें भी सीखना होगा, संभलकर चलना, ज़िंदगी के रास्ते समतल नहीं होंगे । अपने सवाल दूसरों से हल नहीं होंगे ।। (श्रीमति शशि)
मिश्र-गुणस्थान में कार्मण-काययोग
मिश्र-गुणस्थान में कार्मण-काययोग क्यों नहीं ? मिश्र-गुणस्थान पर्याप्तक के ही होता है क्योंकि इसमें मरण नहीं होता है, और कार्मण-काययोग विग्रहगति और अपर्याप्तक अवस्था में
Happiness
Life laughs at you, when you are unhappy, Life smiles at you, when you are happy, Life salutes you, when you make others happy. (Mr.
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